हरिद्वार कुंभ में हुआ मॉक ड्रिल,पुलिस सर्वेलान्स सिस्टम का बेहतरीन रहा रेस्पॉन्स टाइम

कुम्भ मेला पुलिस द्वारा नवस्थापित पुलिस सर्वेलान्स सिस्टम ने बाखूबी अपने काम को अंजाम देना शुरू कर दिया गया है। इसकी एक बानगी  हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र में अलग-अलग जगह हुई मॉक ड्रिल के दौरान दिखाई दी।मॉक ड्रिल के बाद मेजर जनरल  वी के दत्ता, निदेशक NDMA ने मेला नियंत्रण भवन के सभागार में ली गई डि-ब्रीफिंग के दौरान पुलिस हेल्पलाइन, पुलिस कंट्रोल रूम और पुलिस सर्वेलान्स सिस्टम द्वारा सम्पूर्ण मॉक ड्रिल के दौरान की गई कार्यवाही और समय पर उचित प्रकार से दी गई प्रतिक्रिया की सराहना की।

दरअसल  हरिद्वार के अलग-अलग क्षेत्रो में आग लगना, बम बिस्फोट, गैस रिसाव जैसी संभावित घटनाओं की बनावटी परिस्थितियों को निर्मित करते हुए मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान आज कुम्भ मेला हेल्पलाइन नम्बर 1902 और कुम्भ मेला कंट्रोल रूम पर बैरागी क्षेत्र में समय 0911 बजे पर सिलेण्डर से आग लगने, समय 0915 बजे मीडिया सेण्टर पर आग लगने और समय: 0940 बजे बैरागी क्षेत्र में ही दो टेण्टों में आग लगने की सूचना प्राप्त हुई, जिस पर तुरंत ही नजदीकी फायर स्टेशन से फायर टेण्डर, पुलिस बल और मेडिकल टीम मौके पर पहुंची और आग पर समय रहते काबू पाया गया। इन घटनाओं में काल्पनिक रूप घायल हुये लोगों में से कुछ को मौके पर ही मेडिकल टीम द्वारा प्राथमिक उपचार दिया गया और बाकियों को समय से अस्पताल पहुंचाया गया।

दूसरी जगह हुई माॅक ड्रिल के दौरान मेला नियंत्रण भवन के निकट शौल क्षेत्र में 09 बजकर 24 मिनट पर बम बिस्फोट की सूचना प्राप्त हुई, सूचना मिलते ही तत्काल बीडीएस टीम साॅल क्षेत्र पहुंची, पीछे-पीछे ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी साॅल क्षेत्र में पहुंच गयी। मॉक ड्रिल के अंतिम चरण में शौल क्षेत्र से गैस रिसाव की सूचना प्राप्त हुई, जिस पर NDRF, SDRF, मेडिकल टीम एवं सम्बंधित सेक्टर का पुलिस बल मौके पर पहुंचा। टीम ने तुरन्त कार्यवाही करते हुये गैस रिसाव पर काबू पाया और घटना में घायल एक व्यक्ति को तुरन्त ही प्राथमिक उपचार दिया।

इस डि-ब्रीफिंग के दौरान कुम्भ मेला पुलिस के नवनिर्मित पुलिस सर्वेलान्स सिस्टम, हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम की भूमिका की विशेष रूप से सराहना की गई, जिसका कारण त्वरित और सटीक कार्यवाही रहा।  मॉक ड्रिल प्रारम्भ होते ही मौके से सूचना मेला हेल्पलाइन नम्बर 1902 को मिली, हेल्पलाइन के द्वारा ये सूचना कंट्रोल रूम को दी गई, जिसके बाद कंट्रोल रूम में ड्यूटीरत स्टाफ द्वारा पीड़ित/कॉलर से बात कर उसे धेर्य बनाये रखने को कहते हुए तुरंत पुलिस और मेडिकल सहायता भेजने का आश्वासन पीड़ित को दिया गया।Iइसके बाद कंट्रोल रूम के द्वारा सभी सम्बंधित विभागों को तत्काल घटना स्थल पर पहुंचने के लिए निर्देशित करते हुए कॉलबैक करके पीड़ित/कॉलर को बताया गया कि घटना स्थल पर पुलिस बल, मेडिकल स्टाफ और अन्य सहायता भिजवा दी गई है आप बिलकुल भी न घबराएं, सहायता तत्काल आप तक पहुंच रही है।

इसके बाद कंट्रोल रूम के द्वारा घटनास्थल पर मौजूद पुलिस-प्रशासन के अधिकारीगण से लगातार घटनास्थल की वस्तुस्तिथि की जानकारी करते हुए आवश्यक व्यवस्था बनाये रखने हेतु सम्बंधित विभाग/अधिकारियों को सूचित किया जाता रहा।इसके अलावा मेला कंट्रोल रूम के CCTV कैमरों के माध्यम से मीडिया सेंटर में आग की घटना को कंट्रोल करने के लिए फायर स्टेशन द्वारा कितनी ततपरता से रेस्पॉन्स किया गया और शौल क्षेत्र में बम विस्फोट की सूचना पर बम डिस्पोजल टीम द्वारा कितनी तेजी से अपनी कार्यवाही की गई को भी लगातार मोनिटरिंग किया जाता रहा और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाता रहा।इस डि-ब्रीफिंग सेशन के दौरान मेलाधिकारी दीपक रावत, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुम्भ मेला जन्मेजय खण्डूरी, जिलाधिकारी सी0 रविशंकर, एन0डी0एम0ए0 के वरिष्ठ सलाहकार, एसपी जीआरपी  मंजू नाथ टी सी, एनडीआरएफ मेजर राजेंद्र कुमार, अपर मेलाधिकारी रामजी शरण शर्मा सहित मेला प्रशासन एवं जिला प्रशासन के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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