उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड कांग्रेस में कुछ ठीक नहीं चल रहा है और इस की वजह के कई मायनों है…सबसे पहले कांग्रेस चेहरा घोषित नहीं कर पा रही दूसरी तरफ कांग्रेस के नेताओं की आपसी गुटबाजी से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा रहा है …
वैसे देखा जाए तो तमाम चुनावी सर्वे में हरीश रावत सभी नेताओं और चेहरों से आगे निकल रहे हैं और अभी तक उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन की बात करें तो सारा चुनाव और प्रदेश की राजनीति हरीश रावत के आसपास ही चल रही है वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया में भी हरीश रावत सबसे आगे देख रहे हैं
लेकिन फिर भी कांग्रेस पार्टी अभी तक यह तय नहीं कर पा रही है कि चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाए और ना ही चेहरा घोषित कर पा रही है ऐसे में भाजपा इस बात का फायदा लेती हुई दिख रही है क्योंकि भाजपा सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं। तो दूसरी तरफ कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है और शायद यही गुटबाजी कांग्रेस को बैठे-बिठाए मिलने वाली सत्ता की कुर्सी से दूर कर रही है
अभी तक चुनाव का रुख देखे तो दोनों ही पार्टियों में कांटे की टक्कर दिखा रही है भाजपा को जहां 5 साल का कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री के साथ एंटी इनकंबेंसी और बेरोजगारी महंगाई जैसे बड़े मुद्दों से दो चार होना पड़ रहा है तो वही कॉन्ग्रेस फिलहाल अपने ही अंदर गुटबाजी और चेहरे को लेकर कशमकश में जूझ रही है
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट से जाहिर हो रहा है कि पार्टी के अंदर बहुत कुछ चल रहा है हरीश रावत जिस तरीके से अपने ट्वीट में लिखते हैं कि #राजनीति मैं आह भी भरता हूँ तो लोग खफा हो जाते हैं। यदि उत्तराखंड के भाई-बहन मुझसे प्यार जता देते हैं तो लोग उलझन में पड़ जाते हैं। मैंने पहले भी कहा है कि हम लाख कहें, लोकतंत्र की दुल्हन तो वही होगी जो जनता रुपी पिया के मन भायेगी। मैं तो केवल इतना भर कहना चाहता हूँ कि…