देहरादून | मानसून सीजन को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट कर दिया है। किसी भी आपदा से निपटने के लिए विभाग को जवाबदेह एवं दुरूस्त बनाने के लिए विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कार्यभार ग्रहण करते हुए अधिकारियों के पेंच कसने शुरू कर दिये हैं। उन्होंने आपदा की चुनौतियों से निपटने के लिए शासन एवं प्रशासन के अधिकारियों को राज्य एवं जिलों के आपदा परिचालन केंद्रों को मुस्तैद रखने के निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग का कार्यभार ग्रहण करते हुए विभागीय मंत्री धन सिंह रावत ने लगातार विभाग की समीक्षा बैठकें लेने के उपरांत आपदा संबंधि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए कार्ययोजना तैयार की है। यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि आगामी मानसून सीजन को देखते हुए राज्य आपदा परिचालन केंद्र के साथ-साथ सभी 13 जिलों के आपदा परिचालन केंद्रों को सप्ताह भर 24 घंटे खुले रखने के निर्देश दिये गये हैं। इसके अलावा 13 जनपदों के लिए जारी टोल फ्री नम्बर 1077 तथा राज्य स्तर पर जारी 1070 तथा मोबाइल नम्बर 9557444486 को जनप्रतिनिधियों के साथ ही आम जनमानस तक विभिन्न माध्यमों से प्रचारित करने को कहा है।
विभागीय मंत्री ने बताया कि राज्य में वर्तमान में कुल 15 कारकों को आपदा की श्रेणी में रखा गया है। जिसमें से 12 गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा तथा तीन राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित की गई है। भारत सरकार द्वारा चिन्हित आपदाओं में चक्रवात, सूखा, भूकम्प, आग, त्वरित बाढ़, बादल फटना, हिमस्खलन, भू-स्खलन, कीट अक्रमण, ओलावृष्टि, सुनामी, शीत लहर/पाला, आकाशीय बिजली शामिल है। जबकि राज्य सरकार द्वारा आपदा की श्रेणी में आंधी-तूफान, मानव-वन्य जीव संघर्ष तथा वज्रपात को शामिल किया गया है।
विभागीय मंत्री ने यह भी निर्देश दिये हैं कि आम जनमानस को आपदा से बचाव के प्रति जागरूक करने के लिए होर्डिंग्स, हैंडबुक, पम्पलेट, कम्युनिटी रेडियों आदि विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाय। इसके साथ न्यायपंचायत स्तर पर युवक मंगल दल, महिला मंगल दल, ग्राम प्रहरी, वन प्रहरी एवं पंचायत सदस्यों को बेसिक प्रशिक्षण देकर आपदा किट उपलब्ध कराये जाने को भी विभाग को निर्देश दिये। विभागीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित 176 अर्ली वार्निंग वेदर स्टेशनों को भी एक्टिव रखा जाय। ताकि समय रहते स्थानीय स्तर पर बचाव एवं सुरक्षा अभियान चला कर जान-माल की सुरक्षा की जा सके।