प्रदेश में आपदा से निपटने के लिए इस बार आपदा प्रबंधन विभाग चुस्त है। यही वजह है कि आपदा प्रबंधन विभाग उन गांवों के पुनर्वास के लिए फिक्रमंद है जो आपदा के जोखिम से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। मानसून सीजन को देखते हुए विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास हेतु समीक्षा बैठक बुलाई है। जो कि तीन चरणों में आयोजित होगी। इन बैठकों की खास बात यह होगी कि इनमें अधिकारियों के साथ-साथ आपदा प्रभावित क्षेत्रों के स्थानीय विधायक भी मौजूद रहेंगे। ताकि विधायकों के सुझावों को भी शामिल करते हुए प्रभावितों का विस्थापन प्राथमिकता के आधार पर किया जा सके।
राज्य के आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डा. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान कहा कि आगामी मानसून सीजन के मध्यनजर राज्य के आपदा प्रभावित गांवों एवं परिवारों का पुनर्वास राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसी क्रम में आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन को तीन श्रेणियों अतिसंवेदनशील, संवेदनशील एवं कम संवेदनशील में बांटा गया है। इसी क्रम में पुनर्वास की समीक्षा बैठक भी आयोजित की जायेगी। जिसमें पहली बार सम्बंधित क्षेत्र के स्थानीय विधायक को भी आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि पुनर्वास प्रक्रिया में विधायकों के सुझाव भी शामिल किये जा कसे।
सोमवार 7 जून को विभाग की ऐसी पहली बैठक विधानसभा स्थित सभागार में रखी गई है। जिसमें शासन के अधिकारी के साथ ही अति संवेदनशील आपदा प्रभावित क्षेत्रों के एक दर्जन विधायकों को भी आमंत्रित किया गया है। बैठक में विशेष रूप से विपक्ष के विधायकों को पत्र भेजकर आमांत्रित किया गया है जिसमें चकराता विधायक प्रीतम सिंह चैहान, धारचूला विधायक हरीश धामी, पुरोला विधायक राजकुमार एवं केदारनाथ विधायक मनोज रावत शामिल है। जो कि सरकार की एक सकारात्मक पहल है।
इसी प्रकार अगले सप्ताह संवेदनशील एवं कम संवेदनशील क्षेत्रों के आपदाग्रस्त गांवों के पुनर्वास की बैठकें आयोजित की जायेगी। जिसमें अधिकारियों के साथ ही सम्बंधति क्षेत्र के विधायकों को भी आमंत्रित किया जायेगा।