देवभूमि उत्तराखंड की कुंभनगरी सदैव से ही संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं की केंद्र बिंदु जो हर साधु संन्यासी और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकृष्ट करती है, वहीं नगर के गली नुक्कड़ एवमं हर चौराहे में बैठे भिखारी हमारे मानवीय सम्वेदनाओं ओर आधुनिक समाज को मुहँ चिढ़ाते है। जिसे एक अभियान के तहत मुख्य धारा में जोड़ने का बीड़ा उठाया अशोक कुमार पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड पुलिस के दिशानिर्देशन एवमं संजय गुंज्याल पुलिस महानिरीक्षक कुम्भ मेला के नेतृत्व में कुम्भ मेला पुलिस ने।
इस अभियान के तहत हरिद्वार में भिक्षावृत्ति में लिप्त भिक्षुकों को न सिर्फ रोजगार के अवसर दिए गए बल्कि स्वाभिमान से जीने का सम्मान भी प्रदान किया, जिसमे आगाज के स्वरूप में सर्वप्रथम सभी भिक्षुकों को हरिद्वार क्षेत्र से लाकर सुविधाजनक आवास में लाया गया जहां सभी को साफ सफाई एवम कोविड टेस्ट किया गया कुछ भिक्षुकों द्वारा अपने घर जाने की इच्छा जताई गई और भविष्य में भिक्षाव्रिटी से दूर रहने की शपथ ली , जिन्हें घर भेज दिया गया
2 माह के तनाव मुक्त जीवन एवम कौशल प्रशिक्षण के उपरांत मंथन का सार निकल कर आया इस दौरान इन सभी भिक्षुकों के आधार कार्ड बनवाकर इनके बैंक खाते खुलवाए गए। वर्तमान में इन सभी नए भिक्षुक पुलिस कार्मिकों को अपना मासिक वेतन अपने खातों पर प्राप्त हो चुका है। इनमें से कुछ भिक्षुकों के द्वारा अपनी पहली कमाई का कुछ अंश अपने घर भी भेजा गया है। पहला वेतन मिलने के बाद आईजी कुम्भ महोदय द्वारा इन भिक्षुक पुलिस कार्मिकों को मिलने के लिए अपने कार्यालय में बुलाया गया और इनसे इनकी समस्याओं के बारे में जानना चाहा तो इनमें से अधिकतर अपने भविष्य को लेकर आशंकित थे कि क्या कुम्भ खत्म होने के बाद भी उन्हें इसी प्रकार कोई नौकरी मिल सकेगी या नही। इस आशंका को सही मानते हुए आईजी कुम्भ के द्वारा सिडकुल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों से इस सम्बंध ने बात की तो एसोसिएशन के द्वारा पदाधिकारियों सभी 16 भिक्षुक कार्मिकों को उनकी योग्यता अनुसार कम्पनियों में काम देने का आश्वासन दिया गया।
संजय गुंज्याल आईजी कुम्भ द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान भिक्षुकों को सिडकुल जैसी कम्पनियों में कार्य का आश्वासन दिया ओर कहा कि इस अभियान ने हमारी मानव संवेदनाओं को जागृत किया है एवमं नई सोच का पथ अग्रसारित किया है कार्यक्रम के अंत मे आईजी कुम्भ के द्वारा सभी भिक्षुक कार्मिकों को नए वस्त्र, जूते और एक कम्बल देकर सम्मानित किया गया।जिसने भी अभियान के बारे में जाना वो मुराद है कुम्भ मेला पुलिस के इस मार्मिक हृदयस्पर्शी पहल का, उसकी हृदयस्पर्शी सोच का। ऐसे अभियान जो सम्मान के पथ से आते हैं और स्वाभिमान की राह दिखाते है।