उत्तराखंड में जनवरी 2020 से अबतक प्राकृतिक आपदा के कारण 62 लोगों की मौत …..शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपदा कार्यों की हुई समीक्षा …

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं से कितना नुकसान हुआ है और सभी जिलों में किस तरह की की तैयारियां हैं उसको लेकर शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिला अधिकारियों के साथ आपदा कार्यों की समीक्षा की । समीक्षा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा से होने वाली जनहानि में उनके परिवार जनों को 3 दिन के अंदर सहायता राशि उपलब्ध तत्काल कराई जाए।

इसके साथ ही जिला अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा की दृष्टि से सभी जिला अधिकारी हाई अलर्ट पर रहे ..जब बारिस के बाद धूप आती है, तो ऐसे समय में लैण्ड स्लाइडिंग की समस्याये बहुत अधिक होती है। आपदा से जो सड़कें बाधित हो रही हैं, उन्हें सुचारू करने के लिए कम से कम समय लिया जाय। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी एवं अन्य आवश्यक उपकरणों की 24 घण्टे व्यवस्था रखी जाय। 

वही उत्तराखंड में जनवरी 2020 से अबतक प्राकृतिक आपदा के कारण 62 लोगों की मृत्यु हुई है, 33 घायल हुए जबकि 04 लोग लापता हैं। 357 छोटे एवं बड़े पशुओं की हानि हुई। 237 भवन तीक्ष्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए.. मानसून के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग भी क्षतिग्रस्त हुए, राष्ट्रीय राजमार्गों को अधिकतम 24 घण्टों के अन्दर सुचारू कर दिया गया ……पिथौरागढ़ जनपद के तहसील बंगापानी के गैला, पत्थरकोट, बाता, टांगा एवं सिरतोल में अतिवृष्टि के कारण मलबा आने से सबसे अधिक नुकसान हुआ। आपदा मोचन निधि में भारत सरकार से वित्तीय वर्ष 2020-21 प्रथम किश्त के रूप में राज्य सरकार को 468.50 करोड़ रूपये का मानकीकरण किया गया है। जिलाधिकारियों को 103 करोड़ रूपये का एसडीआरएफ का बजट आवंटन किया गया एवं आपदा से संबंधित कार्यों के लिए अन्य विभागों को 189.88 करोड़ रूपये के एसडीआरएफ बजट का आवंटन किया गया।  हर जिलाधिकारी को आपदा मद में 5-5 लाख रूपये की अतिरिक्त राशि भी दी जाएगी।

आपदा के दौरान जिन लोगों को अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है, उनके रहने, खाने की उचित व्यवस्था हो।  मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिये कि जनपदों में लैण्ड बैंक के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाय, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आपदा प्रभावितों को विस्थापित किया जा सके। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों को भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर विस्थापित करने के लिए भूमि का उपलब्ध होना जरूरी है। ऐसे गांवों की सूची बनाई जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के लोगों के लिए विस्थापित करने के लिए फारेस्ट की भूमि की मंजूरी के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा।  

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