गंगा में कोरोना से मृत लोगों की लावारिस लाश पाए जाने के मामले में भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रुचि बडोला का कहना है कि पहले भी यह देखा गया है कि पहले भी संक्रमित बीमारियों के मरीजों के शव अगर पानी में फेंके जाते थे तो उसके कारण बड़े पैमाने पर गंगा भी प्रदूषित होती है …और उसके आसपास रहने वाले गांव के लोगों पर भी इसका बड़ा फर्क दिखाई देता है लोगों को यह नहीं करने की जरूरत है इंकपॉइंट .इससे बड़े पैमाने पर बीमारी फैल सकती है कोरोना के मृत व्यक्तियों के शव को खाने से जलीय या स्थलीय जीव जंतुओं पर फिलहाल किसी तरह का कोई असर नहीं दिखाई दिया है .इंकपॉइंट . सबसे बड़ी बात ये है की गंगा में बड़ी मात्रा में डॉल्फिन ,इंडियन घड़ियाल ,मछलियों की कई तरह की प्रजाति कछुए पाए जाते हैं और इन सभी पर क्या खतरा मंडराने लग गया हैडॉ रूचि बड़ौला का कहना है कि अभी विश्व स्तर पर ऐसी कोई भी रिसर्च सामने नहीं आई है जिसमें जलीय जीवो या किसी अन्य जीव में कोई प्रभाव देखा गया हो यहां तक की मछलियों का सेवन करने वाले लोगों में भी इसका कोई प्रभाव अभी तक नहीं देखा गया|