प्रदेश में कर्मचारियों की लगातार हो रही हड़ताल को लेकर अब राज्य सरकार सख्त हो गई है …उत्तराखंड सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसमे मुख्य सचिव का बड़ा आदेश आया है अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों की हड़ताल और कार्य बहिष्कार को लेकर आदेश दिया गया है …की कार्य बहिष्कार, हड़ताल, आमरण अनशन अनिश्चितकालीन हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों को अनुपस्थित माना जाएगा और कर्मचारियों के हड़ताल के दौरान का वेतन काटा जाएगा ..यानि कार्य नहीं तो वेतन नहीं का आदेश लागु कर दिया गया है …
उत्तराखंड में आए दिन हड़ताल और आंदोलन होते रहे हैं ऐसे में राज्य सरकार के कामकाज पर काफी असर पड़ता है जिससे कई विकास की योजनाएं लटक जाती है आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड जैसा छोटे राज्य देश में हड़ताल धरने प्रदर्शन और आंदोलन की वजह से सभी अन्य राज्य से पहले या दूसरे नंबर पर रहता रहा है यही कारण है कि राज्य सरकार ने और अधिकारियों कर्मचारियों शिक्षक द्वारा हड़ताल या कार्य बहिष्कार के संबंध में एक कड़ा फैसला लिया है इसमें साफ आदेश में कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी कर्मचारी शिक्षक हड़ताल यह कार्य बहिष्कार करता है तो उसको अनुपस्थित माना जाएगा और ऐसे में हड़ताल कार्य बहिष्कार करने वाले कर्मचारियों पर कार्य नहीं तो वेतन नहीं का आदेश लागू किया जाएगा इसको लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने आदेश जारी किया है..आदेश में लिखा गया है कि विभिन्न कर्मचारी संगठन द्वारा अपनी मांगों के संबंध में प्राया हड़ताल और कार्य बहिष्कार किए जाते हैं जिससे जहां एक और जन सामान्य को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तो वहीं शासन द्वारा संचालित जनहित की योजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब होता है कर्मचारी द्वारा की जाने वाली हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अंतर्गत प्रतिबंध है…अब यह फैसला लागू होने के बाद कहीं ना कहीं कर्मचारियों अधिकारियों और शिक्षकों में प्रतिक्रिया आना लाजमी है