प्रदेश के आपदा प्रबन्धन मंत्री धन सिंह रावत ने विधान सभा में आपदा प्रबन्धन एवं पुर्नवास विभाग की समीक्षा बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य के सभी 7200 ग्राम पंचायतों में महिला मंगलदल, युवक मंगलदल, वन प्रहरी, ग्राम प्रहरी एवं पंचायत सदस्यो को आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षित युवाओं को आपदा किट भी उपलब्ध करायी जायेगी। इसके अलावा राज्य के विश्व विद्यालयों एवं राजकीय महाविद्यालयों में यूजीसी मानकों के अनुरूप छात्रों को आपदा प्रबन्धन का सर्टीफिकेट कोर्स कराया जायेगा। डाॅ0 धन सिहं रावत ने कहा कि शीध्र ही आपदा प्रबन्धन एवं पुर्नवास विभाग को ढाॅचा भी स्वीकृत किया जायेगा ताकि विभाग आपदा के समय में अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार कार्य कर सकें। उन्होने बताया कि आने वाले समय में पूरे प्रदेश में विशेषाज्ञों से सर्वे करा कर आपदा सम्भावित क्षेत्रों एवं गाॅवों को चिन्हित कर पुर्नवास की योजना तैयार की जायेगी। इसके लिए यूसैक, वाडिया संस्थान एवं जीएसआई संस्थानों के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की एक स्थायी समिति बनाई जायेगी। जो समय समय पर राज्य भर में आपदा सम्भावित क्षेत्रों का अध्ययन कर सरकार को आपदा से सम्बन्धित रिपोर्ट एवं सुझाव देगीं। उन्होने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि 31 मार्च से पूर्व आपदा प्रबन्धन एवं पुर्नवास विषय पर यूसैक के तत्वाधान में में एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाय। जिसमें समस्त जिलाधिकारी, जिला आपदा अधिकारी एवं विशेषाज्ञों को आमंत्रित किया जायेगा। इसके पश्चात प्रदेश की भागोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सेमिनार में आये सुझावों के आधार पर एक रिर्पोट तैयार की जायेगी। विभागीय मंत्री ने आज आपदा मद से हरिद्वार कुम्भ के लिए 18 करोड की धनराशि का भी अनुमोदन किया। जो कि कुम्भ में तैनात अधिकारियों एवं सुरक्षा बलों, पुलिस तथा स्वस्थ्य कर्मियों के आरटीपीसीआर जाॅच पर खर्च की जायेगी। बैठक में सचिव आपदा बी मुरूगेशन, यूसैक के निदेशक डाॅ0 एम पी एस बिष्ट, आई आईटी रूडकी के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शमीम अन्सारी आपदा प्रबन्धन विभाग के सयुक्त सचिव, उप सचिव, अनु सचिव सहित तमाम अधिकारी उपस्थित थे।