मनरेगा कर्मियों की मांग, हिमाचल की तर्ज पर हो उत्तराखंड में भी नियमितीकरण व विभागीय समायोजन ,

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही मनरेगा कर्मियों की नियमितीकरण व विभागीय समायोजन की मांग न सिर्फ अब जोर पकड़ने लगी है…बल्कि मनरेगा कर्मियों उमीद है कि ये सरकार उनकी मानगो पर जरुर विचार कर पूरा करेंगे … मनरेगा कर्मचारी संगठन देहरादून में नियमितीकरण व समायोजन को लेकर धरने पर बैठा हुआ है। महात्मा गांधी कर्मचारी संगठन उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को ज्ञापन सौंपकर मनरेगा के तहत काम कर रहे कार्मिकों को हिमाचल की तर्ज पर नियमितीकरण व विभागीय समायोजन की मांग की है …

पिछले 15सालों से उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए मनरेगा के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं… कम मानदेय में कर्मचारी दूरस्थ इलाकों में विकास योजनाओं को हर गांव तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं … उत्तराखंड में मनरेगा के तहत काम कर रहे करीब डेढ़ हजार कर्मचारी शामिल है ….सरकार की विकास योजनाओं के साथ ही मनरेगा कार्मिक सरकार से जुड़े हुए तमाम कार्यों में भी योगदान दे रहे हैं चुनाव में ड्यूटी से लेकर अन्य सरकारी कामों में मनरेगा कार्मिकों की भागीदारी है

लेकिन लंबे समय से कम मानदेय में काम करने के चलते मनरेगा कार्मिकों के सामने आर्थिक संकट घर आया हुआ है इस बीच मनरेगा कर्मचारी संगठन के पक्ष में उत्तराखंड के कई विधायकों ने इन कार्मिकों को नियमित व विभाग में समायोजन करने की पैरोकारी की है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कर्मचारी संगठन को सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है। गौरतलब है कि गढ़वाल सांसद रहते हुए रावत पूर्व में मनरेगा कार्मिकों की दिक्कतों को देखते हुए कार्मिकों की मांग को जायज बता चुके हैं।

ज्ञापन सौंपने वालों में मनरेगा कर्मचारी संगठन के संरक्षक द्वारिका देवली, अध्यक्ष सुंदरमणी सेमवाल, संयोजक विक्रम सिंह, महामंत्री सुबोध उनियाल, प्रदेश प्रवक्ता रमेश गड़िया, मुकेश डिमरी, विमल राणा, नीरज पडियार, दीपेंद्र रावत, अजय मिश्रा, महादेव प्रसाद, यशपाल आर्य, समीम बैग, हितेंद्र बलदिया, मोहन सती, विशाल मित्तल, सौरभ श्रीवास्तव, संदीप डिमरी आदि शामिल थे

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